मेरे बारे में

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झारखण्ड के रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का छात्र हूँ ! आप बचपन से ही भावुक होते हैं ! जब भी आप कोई खबर पढ़ते-सुनते हैं तो अनायास ही कुछ अच्छे-बुरे भाव आपके मन में आते हैं ! इन्हीं भावो में समय के साथ परिपक्वता आती है और वे विचार का रूप ले लेते हैं! बस मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है! कलम काग़ज से अब तसल्ली नहीं होती ! अब इलेक्ट्रॉनिक कलम की दुनिया भाने लगी है !

रविवार, 27 नवंबर 2016

रौशनी के हौशले को सलाम.

रौशनी से बातचीत करते हुए. 
ये रौशनी है। रांची के अनंतपुर की रहने वाली रौशनी उन लड़कियों की भीड़ से अलग है जो कम उम्र में शादी के खिलाफ बगावत की हिम्मत नहीं जुटा पाती ..... रौशनी ने बाल विवाह के खिलाफ जो कदम उठाया है वो एक मिशाल है। रौशनी पढ़ - लिखकर अपने नाम के अनुरूप अपने माता - पिता का नाम रौशन करना चाहती थी , पर ये बात उसके परिवार वालों को पसंद नहीं ..... 16 साल से भी कम उम्र होने के बावजूद उसे विवाहित लड़के के साथ शादी के बंधन में बांधने की हर संभव कोशिश की गई। रौशनी के मना करने पर उसपर मिटटी तेल छिड़ककर रौशनी के लौ को बुझाने की कोशिश की गई। परिवार से तंग आकर रौशनी घर छोड़कर भाग गई। दूसरे के घर जुटा साफ़ करने लगी लेकिन वहां भी रौशनी को प्रताड़ित किया गया। सब जगह से तंग आकर रौशनी थाना पहुंची। थाना से उसे बाल कल्याण समिति भेजा गया। रौशनी कहती है - "मेरे ख्याल से लड़की को तबतक शादी नहीं करनी चाहिए जबतक अपने पैर पर वो खड़ा न हो। नहीं तो सिर्फ लड़की को जलालत की जिंदगी मिलती है। पति शराब पीकर पिटता है। " रौशनी एलिजाबेथ स्कूल की छात्रा है। वो पढ़ लिखकर पुलिस बनना चाहती है। अपने परिवार के खिलाफ जेहाद कर कुछ करने की चाहत रखने वाली रौशनी के हौसले को सलाम।

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