मेरे बारे में

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झारखण्ड के रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का छात्र हूँ ! आप बचपन से ही भावुक होते हैं ! जब भी आप कोई खबर पढ़ते-सुनते हैं तो अनायास ही कुछ अच्छे-बुरे भाव आपके मन में आते हैं ! इन्हीं भावो में समय के साथ परिपक्वता आती है और वे विचार का रूप ले लेते हैं! बस मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है! कलम काग़ज से अब तसल्ली नहीं होती ! अब इलेक्ट्रॉनिक कलम की दुनिया भाने लगी है !

शनिवार, 28 अगस्त 2010

संकट में भगवान....


जब भी हम पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है तो हम सब भगवान के भरोसे छोड़ कर, दिल पर हाथ रख आल इज वेल करके दिल बहलाने की कोशिस करते हैं। लेकिन जरा सोचिये जब हम सब की रक्षा करने वाले का ही अस्तित्व संकट में पड़ जाये तो ऐसी स्तिथि में हम सब का अस्तित्व किसके भरोसे बचेगा।

क्या हुआ:
झारखण्ड में इनदिनों भगवान संकट में हैं। अभी रजरप्पा से माँ की प्रतिमा के साथ छेड़-छाड़ और गुम होने का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था की एक बार फिर भगवान का अस्तित्व यहाँ संकट में पड़ गया है। सरकार ने रांची समेत पूरे प्रदेश के ३३५ मंदिर पर बुलडोज़र चलाने के लिए चिन्हित किया है। क्यूंकि ये सारे मंदिर सरकारी जमीन पर है। १० से ४० साल पुराणी इन मंदिरों को हटाने की सरकार ने नोटिस क्या भेजी सभी धर्मप्रेमियों का खून खौल गया। और सड़क पर उतर गए। सभी धर्म प्रेमी की ऑंखें नाम हो गयी है। उन्हें बस यही चिंता सता रही है की अब वो किसके पास अपनी फरियाद ले कर जायेगे। इस स्वार्थ से परिपूर्ण दुनिया में उनकी बात्तें कौन सुनेगा। सभी के आखिरी रास्ता भगवान ही तो थे जो सभी के दुःख को सुनते थे और समयानुसार उसका समाधान भी करते थे। लेकिन अब वो उनसे दूर चले जायेंगे। सभी का कलेजा यही सोच-सोच कर फटे जा रहा है। अब तो डर है की कहीं ये गुस्साए भक्त कुछ अनहोनी कर दे।

क्या हो सकता है:
सरकार ने तो नोटिस सभी पुजारियों को भेज तो दी है लेकिन उनके जगदाता को उनसे अलग करने की बात उनकी अन्दर समां नहीं पा रही है। अब सबको यही डर की कहीं इतिहास दोहराए। कुछ साल पहले महाबीर मंदिर डोरंडा में रामनवमी का जुलूस पर रोक के बाद जो जनांदोलन हुआ था कहीं वो फिर से दोहराए। सभी पार्टी वाले अपने - अपने बैनर और पोस्टर लेकर सड़क पर उतर जायेंगे। ऐसे में सरकार को हर हाल में जनता के सामने झुकना ही होगा।

होना क्या चाहिए:
आज सभी लोग ट्राफिक जाम के चलते अपना बेस्किमती समय सड़क पर बिता देते हैं। कारण एक है की हमारे पास उतने चौड़े सड़क नहीं है जितना की आज शहर को जरुरत है। जहाँ मन करता कोई भी गाड़ी खड़ी कर देता है। पकडे जाने पर ऊँची पैरवी से छुट जाता हैं। दूसरा कारण है की फुथपाथ वाले अलग से सड़क पर कब्जे किये हुए है। आज जिस गति से हमारे आँगन में दिवार उठ रही है, भाई - भाई से अलग हो रहा है। ठीक वही गति से भगवानो की भी संख्या भी बढ रही है। लोग अपनी जमीन बचाने के लिए घर के सामने मंदिर मना देते हैं। ऐसे में ये किसी के नज़र में सही नहीं है। लेकिन जब सरकार इसे हटाने की बात करता है तो फिर हमारा हिंदुत्व जाग जाता है। हम सड़कों पर लाठी डंडे लेकर उतर जाते हैं। लेकिन ये नहीं सोचते की जिसको हम पूजते हैं उसे हम एक पह्रादार की तरह घर के बाहर खड़े कर देते हैं, और उसी के पीछे से स्विस बैंक में पैसा भरते हैं। भगवान हर मन में और हर किसी के दिल में बसते हैं। बस जरुरत है उन्हें महसूस करने की। भगवान भी ये नहीं चाहेंगे की उनके नाम पर खून खराबा हो। आज हमारे घर में कई ऐसे बुड़े माँ- बाप है जिनकी सही से सेवा नहीं हो पाती है लेकिन मंदिर जाकर हम खूब मिठाई और प्रशाद चडाते हैं। आज सिरडी में अरबों रुपये के लागत से मंदिर बनाया गया है। जबकि जिस भगवान को हम वहां पूजते है वो एक साधारण आदमी थे। उन्हें ये सब पसंद नही था।
जब भगवान को ये सब पसंद नहीं था तो फिर हम ये सब क्यूँ कर रहे हैधर्म के नाम पर इतना शोर क्यूँ मचा रहे हैंपूरा प्रदेश आकाल की चपेट में हैलोग भूख से मर रहे हैंलेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं हैइन सभी काम में हम अपना धर्म भूल जाते हैंहम सिर्फ महंगा अगरबत्ती से पूजा करने से ही अपना धर्म पूरा हो गया यही समझ लेते हैं
जय झारखण्ड! जय हिंद!

बुधवार, 25 अगस्त 2010

काश मैं गोरा होता......?


मैं कुवारा हूँ मेरा रंग काला है। मैं कई लड़किओं को देखता हूँ वो भी मुझे देखती हैं, देखेंगी और शायद देखती रह जाएँगी। यह सब जान कर कोई आशचर्य नहीं होता है। क्यूंकि आश्चर्य तो तब होगा जब लड़कियां मुझे पसंद कर लेगी। इस बार भी इनमे से किसी लड़की ने मुझे पसंद नहीं किया। हर बार यही होता है जब भी कोई नयी और अच्छी लड़की देखता हूँ तो उत्साह से भर कर सज सवरकर उसके चक्कर इस प्रकार काटने लगता हूँ। जैसे एलेक्ट्रोन नियोकिलस का चक्कर कटता हैं।

काला होना एक पुरुष के लिए कितना बड़ा अभिशाप है उसे हर काला पुरुष ही समझ सकता है। घर-बाहर आते-जाते सभी जगह ताने और फुसफुसाहट सुननी पड़ती है। जब दोस्तों की महफ़िल में बैठता हूँ तो वे लोग भी भले भूरे कह कर मजाक उड़ाते हैं। एक बार एक दोस्त ने कहा-लगता है जब भगवान तुझे बना रहे होंगे तो लाइट चली गयी होगी, तो तुझे डिबिया के प्रकाश में ही बना रहे होंगे। जिससे डिबिया का धुवां तुझ पर कर बैठ गया होगा और तू गोरा से काला हो गया होगा। एक दिन जब मैं लाल रंग का शर्ट पहन लिया तो ऐसा लगा मानो भूचाल गया हो। सभी कहने लगे ऐसा लग रहा है जैसे कोलवरी में आग लग गयी हो। इनसब से तंग आकर जब मैंने अपनी माँ से पूछा की माँ मैं काला क्यूँ हूँ तो माँ ने भी मेरा मजाक उड़ाते हुए कहा की तू पहले गोरा था लेकिन बचपन में तुझे एक बार करेंट लगा था तभी से तू काला होगा है। एक बार एक दोस्त के यहाँ पार्टी में गया था तभी एक बच्चे से मेरे दोस्त ने पूछा की छोटू गुलाब जामुन खाए की नहीं, बच्चा बोला कैसा होता है तो उसने मेरी तरफ दिखाते हुए कहा की देखो ऐसा होता है। बच्चे ने भी मुझे नहीं छोड़ा और कहा की नहीं इससे थोडा साफ़ था।

ये सब सुन कर मेरा खून खौल जाता है। लेकिन कुछ कर भी नहीं सकता आखिर में सत्य तो यही है की मैं काला पुरुष हूँ। बस जिंदगी का एक कड़वा सा घूंट पी कर रह जाता हूँ। भगवान मुझे मिले तो मैं उनसे पुछुगा की उसने मुझे ही काला क्यूँ बनाया। मेरे मम्मी-पापा, भाई-बहन कोई काले नहीं तो फिर मुझे ही काला क्यूँ बनाया। आखिर किस जन्म का बदला लेने के लिए मुझे काला बनाया।

मेरे भी कुछ अरमान हैं, मैंने भी सपनों की महल बनाई है। लेकिन सभी इस काला होने की वजह से बेकार हो जाते हैं। जब भी कोई गोरा लड़का देखता हूँ तो बस यही सोचता हूँ की काश मैं भी ऐसा होता तो मेरी भी दो चार गर्लफ्रेंड होती। मै भी उसकी बाँहों में सर रख कर सुख-दुःख बांटता। लेकिन ये कभी हो सका। मेरे अन्दर के दुःख मेरे आत्मा की पीड़ा शायद भगवान भी सहन कर पाए। एक जवान लड़के का काला होना से बड़ा अभिशाप और कुछ नहीं हो सकता है।

हे भगवान मेरी आपसे यही विनती है की किसी को काले नहीं बनाये। यदि यह बात सच है की आदमी बनाते- बनाते लाइट चली जाती है और आप डिबिया के प्रकाश में ही आदमी बनाने लगते हैं जिससे डिबिया का धुवां आदमी पर पड़ कर उसे गोरा से काला बना देता है तो आप एक जेनेरेटर खरीद ले। जिससे लाइट जायेगा ही आदमी काला होगा। क्यूँ ठीक कहा ..?

मंगलवार, 24 अगस्त 2010

भैया को तलाशती बहन...


रक्षाबंधन भाई और बहन के प्यार का त्योहार है। इसे रेशम के धागों का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और कहती है की इसी तरह हमारा और आपका भी जन्म-जन्मांतर तक रिश्ता बना रहे। इस दिन भाई कहीं भी हो अपनी बहन के पास उसका प्यार और आशीर्वाद पाने जरुर आता है। बहन भी दिल खोल कर अपने प्यारे भैया का स्वागत करती है और जीवन में कभी कोई समस्या न आये और साथ ही लम्बी उम्र की कामना करती है।

मेरे होस्टल के ठीक बगल में एक ब्राह्मन का परिवार रहता है। दोनों मिया बीबी की उम्र ५० के करीब होगी। अपना गुजारा फुटपाथ पर दुकान चला कर किया करते हैं। जैसे भी हो ईमानदारी की रोटी से ये लोग काफी खुश रहते हैं। शायद भगवान इनसे नाखुस थे इसलिए शादी के डेड़ दशक बाद इनके आँगन में किलकारी गूंजी। आज इनकी दो बेटी है। दोनों देखने में एकदम गुड़िया है। ये दोनों भी जितने हैं उतने में ही काफी खुश रहती है। दोनों आज स्कूल भी जाती हैं। एक की उम्र १३ साल तो एक ९ साल की होगी।

हमारे होस्टल से इनकी माँ के हमेशा से अच्छे सम्बन्ध रहे हैं। ये हर लड़के में अपने बेटे का चेहरा देखती है। पर ऐसा नहीं है की ये अपनी दोनों बेटी को बेटा से कम प्यार करती है। बचपन से ही रक्षाबंधन के दिन ये दोनों बहने भाई को राखी बांधने के जिद पर अड़ जाती थी, क्युकि इनकी सारी सहेलियां अपने भाई को राखी बांधा करती थी। लेकिन भगवान ने इन्हें राखी बांधने के लिए भाई नहीं दिया है। इनका दिल रखने के लिए इनकी माँ ने होस्टल के एक लड़के को राखी बंधवाई। तभी से ही ये सिलसिला शुरु हुआ जो आज तक चलता आ रहा है। धीरे-धीरे यहाँ रहने वाले सभी लड़के इनदोनो बहनों के भाई हो गए और राखी बंधवाने लगे। आज इनदोनो बहन के २०० से भी ज्यादा भाई हैं। लेकिन अफ़सोस है तो बस यही बात का की हर रक्षाबंधन में इनके सामने आने वाला हाथ बदल जाता है। होस्टल में हर साल लड़के बदल जाते हैं और हर साल इनके भाई भी बदल जाते हैं। आज इस बहन के प्यार और आशीर्वाद से कितने लडकें देश के कई नामी गिरामी कंपनियों का शोभा बड़ा रहे हैं। और कई तो सरकारी नौकरी में अच्छे पोस्ट पर हैं लेकिन जो एक बार यहाँ से गया वो फिर दुबारा नहीं आया।

आज ये दोनों बहन धीरे-धीरे बड़ी हो रही हैं और इनके पापा बुड़ापे की ओर बढ रहे हैं। इनकी जमीन इनके रिश्तेदारों ने बईमानी से अपने नाम कर लिया है। रहने के लिए एक छत की तालाश में इन्होने किसी तरह थोड़ी सी जमीन खरीदी थी। इस जालिम दुनिया वालों से वो भी न देखा गया और उसे भी हड़प लिया गया। बारिश का मौसम हर किसी के लिए खुशियाँ की सौगात लेकर आता है। लेकिन इस परिवार पर ये दुखों का पहाड़ लेकर आता है। यदि बारिश शुरू हुई तो इन्हें मोसक्यूटो गार्ड के ऊपर प्लास्टिक लगा कर रात भर जाग कर बिताना पड़ता है।

मैं आज तक जितने भी लोग इस होस्टल में रहे हैं, उनसे आग्रह करना चाहूँगा की अपनी इस बहन को इस कठिन परिस्थिती से जरुर निकाले। क्यूंकि आज इस बहन को जरुरत है मजबूत कन्धों की जिस पर सर रख कर अपना सुख-दुख बाँट सके।
जय हिंद।