जब भी हम पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है तो हम सब भगवान के भरोसे छोड़ कर, दिल पर हाथ रख आल इज वेल करके दिल बहलाने की कोशिस करते हैं। लेकिन जरा सोचिये जब हम सब की रक्षा करने वाले का ही अस्तित्व संकट में पड़ जाये तो ऐसी स्तिथि में हम सब का अस्तित्व किसके भरोसे बचेगा।
क्या हुआ:
झारखण्ड में इनदिनों भगवान संकट में हैं। अभी रजरप्पा से माँ की प्रतिमा के साथ छेड़-छाड़ और गुम होने का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था की एक बार फिर भगवान का अस्तित्व यहाँ संकट में पड़ गया है। सरकार ने रांची समेत पूरे प्रदेश के ३३५ मंदिर पर बुलडोज़र चलाने के लिए चिन्हित किया है। क्यूंकि ये सारे मंदिर सरकारी जमीन पर है। १० से ४० साल पुराणी इन मंदिरों को हटाने की सरकार ने नोटिस क्या भेजी सभी धर्मप्रेमियों का खून खौल गया। और सड़क पर उतर गए। सभी धर्म प्रेमी की ऑंखें नाम हो गयी है। उन्हें बस यही चिंता सता रही है की अब वो किसके पास अपनी फरियाद ले कर जायेगे। इस स्वार्थ से परिपूर्ण दुनिया में उनकी बात्तें कौन सुनेगा। सभी के आखिरी रास्ता भगवान ही तो थे जो सभी के दुःख को सुनते थे और समयानुसार उसका समाधान भी करते थे। लेकिन अब वो उनसे दूर चले जायेंगे। सभी का कलेजा यही सोच-सोच कर फटे जा रहा है। अब तो डर है की कहीं ये गुस्साए भक्त कुछ अनहोनी न कर दे।
क्या हो सकता है:
सरकार ने तो नोटिस सभी पुजारियों को भेज तो दी है लेकिन उनके जगदाता को उनसे अलग करने की बात उनकी अन्दर समां नहीं पा रही है। अब सबको यही डर की कहीं इतिहास न दोहराए। कुछ साल पहले महाबीर मंदिर डोरंडा में रामनवमी का जुलूस पर रोक के बाद जो जनांदोलन हुआ था कहीं वो फिर से न दोहराए। सभी पार्टी वाले अपने - अपने बैनर और पोस्टर लेकर सड़क पर उतर जायेंगे। ऐसे में सरकार को हर हाल में जनता के सामने झुकना ही होगा।
होना क्या चाहिए:
आज सभी लोग ट्राफिक जाम के चलते अपना बेस्किमती समय सड़क पर बिता देते हैं। कारण एक है की हमारे पास उतने चौड़े सड़क नहीं है जितना की आज शहर को जरुरत है। जहाँ मन करता कोई भी गाड़ी खड़ी कर देता है। पकडे जाने पर ऊँची पैरवी से छुट जाता हैं। दूसरा कारण है की फुथपाथ वाले अलग से सड़क पर कब्जे किये हुए है। आज जिस गति से हमारे आँगन में दिवार उठ रही है, भाई - भाई से अलग हो रहा है। ठीक वही गति से भगवानो की भी संख्या भी बढ रही है। लोग अपनी जमीन बचाने के लिए घर के सामने मंदिर मना देते हैं। ऐसे में ये किसी के नज़र में सही नहीं है। लेकिन जब सरकार इसे हटाने की बात करता है तो फिर हमारा हिंदुत्व जाग जाता है। हम सड़कों पर लाठी डंडे लेकर उतर जाते हैं। लेकिन ये नहीं सोचते की जिसको हम पूजते हैं उसे हम एक पह्रादार की तरह घर के बाहर खड़े कर देते हैं, और उसी के पीछे से स्विस बैंक में पैसा भरते हैं। भगवान हर मन में और हर किसी के दिल में बसते हैं। बस जरुरत है उन्हें महसूस करने की। भगवान भी ये नहीं चाहेंगे की उनके नाम पर खून खराबा हो। आज हमारे घर में कई ऐसे बुड़े माँ- बाप है जिनकी सही से सेवा नहीं हो पाती है लेकिन मंदिर जाकर हम खूब मिठाई और प्रशाद चडाते हैं। आज सिरडी में अरबों रुपये के लागत से मंदिर बनाया गया है। जबकि जिस भगवान को हम वहां पूजते है वो एक साधारण आदमी थे। उन्हें ये सब पसंद नही था।
जब भगवान को ये सब पसंद नहीं था तो फिर हम ये सब क्यूँ कर रहे है। धर्म के नाम पर इतना शोर क्यूँ मचा रहे हैं। पूरा प्रदेश आकाल की चपेट में है। लोग भूख से मर रहे हैं। लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इन सभी काम में हम अपना धर्म भूल जाते हैं। हम सिर्फ महंगा अगरबत्ती से पूजा करने से ही अपना धर्म पूरा हो गया यही समझ लेते हैं।
जय झारखण्ड! जय हिंद!
क्या हुआ:
झारखण्ड में इनदिनों भगवान संकट में हैं। अभी रजरप्पा से माँ की प्रतिमा के साथ छेड़-छाड़ और गुम होने का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था की एक बार फिर भगवान का अस्तित्व यहाँ संकट में पड़ गया है। सरकार ने रांची समेत पूरे प्रदेश के ३३५ मंदिर पर बुलडोज़र चलाने के लिए चिन्हित किया है। क्यूंकि ये सारे मंदिर सरकारी जमीन पर है। १० से ४० साल पुराणी इन मंदिरों को हटाने की सरकार ने नोटिस क्या भेजी सभी धर्मप्रेमियों का खून खौल गया। और सड़क पर उतर गए। सभी धर्म प्रेमी की ऑंखें नाम हो गयी है। उन्हें बस यही चिंता सता रही है की अब वो किसके पास अपनी फरियाद ले कर जायेगे। इस स्वार्थ से परिपूर्ण दुनिया में उनकी बात्तें कौन सुनेगा। सभी के आखिरी रास्ता भगवान ही तो थे जो सभी के दुःख को सुनते थे और समयानुसार उसका समाधान भी करते थे। लेकिन अब वो उनसे दूर चले जायेंगे। सभी का कलेजा यही सोच-सोच कर फटे जा रहा है। अब तो डर है की कहीं ये गुस्साए भक्त कुछ अनहोनी न कर दे।
क्या हो सकता है:
सरकार ने तो नोटिस सभी पुजारियों को भेज तो दी है लेकिन उनके जगदाता को उनसे अलग करने की बात उनकी अन्दर समां नहीं पा रही है। अब सबको यही डर की कहीं इतिहास न दोहराए। कुछ साल पहले महाबीर मंदिर डोरंडा में रामनवमी का जुलूस पर रोक के बाद जो जनांदोलन हुआ था कहीं वो फिर से न दोहराए। सभी पार्टी वाले अपने - अपने बैनर और पोस्टर लेकर सड़क पर उतर जायेंगे। ऐसे में सरकार को हर हाल में जनता के सामने झुकना ही होगा।
होना क्या चाहिए:
आज सभी लोग ट्राफिक जाम के चलते अपना बेस्किमती समय सड़क पर बिता देते हैं। कारण एक है की हमारे पास उतने चौड़े सड़क नहीं है जितना की आज शहर को जरुरत है। जहाँ मन करता कोई भी गाड़ी खड़ी कर देता है। पकडे जाने पर ऊँची पैरवी से छुट जाता हैं। दूसरा कारण है की फुथपाथ वाले अलग से सड़क पर कब्जे किये हुए है। आज जिस गति से हमारे आँगन में दिवार उठ रही है, भाई - भाई से अलग हो रहा है। ठीक वही गति से भगवानो की भी संख्या भी बढ रही है। लोग अपनी जमीन बचाने के लिए घर के सामने मंदिर मना देते हैं। ऐसे में ये किसी के नज़र में सही नहीं है। लेकिन जब सरकार इसे हटाने की बात करता है तो फिर हमारा हिंदुत्व जाग जाता है। हम सड़कों पर लाठी डंडे लेकर उतर जाते हैं। लेकिन ये नहीं सोचते की जिसको हम पूजते हैं उसे हम एक पह्रादार की तरह घर के बाहर खड़े कर देते हैं, और उसी के पीछे से स्विस बैंक में पैसा भरते हैं। भगवान हर मन में और हर किसी के दिल में बसते हैं। बस जरुरत है उन्हें महसूस करने की। भगवान भी ये नहीं चाहेंगे की उनके नाम पर खून खराबा हो। आज हमारे घर में कई ऐसे बुड़े माँ- बाप है जिनकी सही से सेवा नहीं हो पाती है लेकिन मंदिर जाकर हम खूब मिठाई और प्रशाद चडाते हैं। आज सिरडी में अरबों रुपये के लागत से मंदिर बनाया गया है। जबकि जिस भगवान को हम वहां पूजते है वो एक साधारण आदमी थे। उन्हें ये सब पसंद नही था।
जब भगवान को ये सब पसंद नहीं था तो फिर हम ये सब क्यूँ कर रहे है। धर्म के नाम पर इतना शोर क्यूँ मचा रहे हैं। पूरा प्रदेश आकाल की चपेट में है। लोग भूख से मर रहे हैं। लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इन सभी काम में हम अपना धर्म भूल जाते हैं। हम सिर्फ महंगा अगरबत्ती से पूजा करने से ही अपना धर्म पूरा हो गया यही समझ लेते हैं।
जय झारखण्ड! जय हिंद!