मेरे बारे में

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झारखण्ड के रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का छात्र हूँ ! आप बचपन से ही भावुक होते हैं ! जब भी आप कोई खबर पढ़ते-सुनते हैं तो अनायास ही कुछ अच्छे-बुरे भाव आपके मन में आते हैं ! इन्हीं भावो में समय के साथ परिपक्वता आती है और वे विचार का रूप ले लेते हैं! बस मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है! कलम काग़ज से अब तसल्ली नहीं होती ! अब इलेक्ट्रॉनिक कलम की दुनिया भाने लगी है !

मंगलवार, 1 मार्च 2011

कितना सफल रहा राष्ट्रीय खेल ?


३४वे राष्ट्रीय खेल का मसाल अब बुझ चुका है। लेकिन राष्ट्रीय खेल का भब्य और सफल आयोजन ने प्रदेश के हरेक लोगों के दिल में जो आशा कि लौ जलाई है शायद वो अब बुझ नहीं पायेगी। झारखण्ड इस खेल कि मेजबानी कर रहा था। २८ राज्य और केंद्र शासित प्रेदश के लगभग २० हज़ार से भी अधिक खिलाड़ी इस बात के साक्षी बने के झारखण्ड से अच्छा मेहमान नवाजी और कोई नहीं कर सकता। हालाँकि कुछ उठापठक भी हुए लेकिन कहते हैं जहाँ प्यार होता है वहीँ तकरार भी होता है।
अब तो हर किसी के जुबान पर यही है कि अपना १० वर्ष बचपना में बिताने के बाद झारखण्ड कि जवानी यही से शुरू होती है। खेल का रंगारंग शुरुवात और रंगारंग समापन। समापन समारोह में भले ही लोग कैटरीना कैफ के शीला कि जवानी पर ठुमके देख सके हों लेकिन इस आयोजन के बहाने झारखण्ड कि जवानी पूरे देश ने आंख पसार कर देखी। ऐसा नहीं कि लोग सिर्फ फिल्मी सितारों को देखने के लिये उमड़े बल्कि खेल के दौरान भीड़ इतनी कि पुलिस को लाठी तक भांजनी पड़ी। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि झारखण्ड के लोगों के दिलों में खेलों और खिलाडिओं के प्रति कितनी दीवानगी है।
चौक चौराहा ऐसा सजा कि देख कर विश्वास ही नहीं था कि ये वही रांची है जो आधी से अधिक सड़कों पर बसती है। ट्राफिक भी बिल्कुल खाली। जिस सड़क पर गाड़ियाँ सरकती थी उसपर गाड़ियाँ सरपट दौड़ने लगी। हर ओर नमस्कार और जोहार से गूंजता झारखण्ड ऐसा सजा की लग रहा था की खेल नहीं बल्कि झारखण्ड की बेटी की शादी हो॥
लेकिन मन में कुछ कसक रह गयी:
सचमुच में राष्ट्रीय खेल का सफल आयोजन से हर किसी को गौरवान्वित होने का मौका मिला। तभी तो प्रदेश के मुखिया मुंडा जी ने भी दिल खोल कर खिलाडिओं पर पैसों कि घोषणाएं किये और दहाड़ - दहाड़ कर भाषण दिए। करते भी क्यूँ नहीं आखिर कर उनके खिलाडियों ने प्रदेश को पांचवे पायदान पर जो ला कर खड़ा कर दिया था। इससे पहले झारखण्ड राष्ट्रीय खेल के इतिहास में कहीं इतनी अच्छी स्थिती में नहीं दिखा था। लेकिन क्या फ़िल्मी कलाकाओं को पैसे के बल पर बुला कर ठुमके लगवा कर और खुद से मंच पर चढ़ कर अपने अपने बारे में लम्बे चौड़े कहना, खुद मुह मिया मिट्ठू नहीं कहलायेगा। यह कहना की ये आयोजन इतिहास का सबसे सफल आयोजन है कहना गलत नहीं होगा। ये कैसा सफल आयोजन जिसमे देश की प्रसीडेंट नहीं आयी ही प्रधानमंत्री आये और ही उनका कोई सन्देश आया। हर किसी के मन में यही कसक रह गयी की काश देश में हो रहे ऐसे खेल में ये लोग भी आते तो चार चाँद लग जाती।

चार चाँद भले ही कुछ लोगों की वजह से लगा हो लेकिन एक ही चाँद की रौशनी में जिसने भी खेल गाव स्थित आधारभूत संरचना को देखा वो दंग रह गया और कहे बगैर नहीं रहे की ऐसा पहले कभी नहीं देखा। कुल मिला कर कहा जाये तो झारखण्ड की दबंगई हर किसी ने देखी चाहे वो खेल में प्रदर्शन को लेकर हो या फिर मेहमान नवाजी को लेकर हो। जय झारखण्ड, जोहार झारखण्ड, जागो झारखण्ड।