मेरे बारे में

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झारखण्ड के रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का छात्र हूँ ! आप बचपन से ही भावुक होते हैं ! जब भी आप कोई खबर पढ़ते-सुनते हैं तो अनायास ही कुछ अच्छे-बुरे भाव आपके मन में आते हैं ! इन्हीं भावो में समय के साथ परिपक्वता आती है और वे विचार का रूप ले लेते हैं! बस मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है! कलम काग़ज से अब तसल्ली नहीं होती ! अब इलेक्ट्रॉनिक कलम की दुनिया भाने लगी है !

रविवार, 7 जून 2015

फोटो मत छापियेगा नहीं तो फांसी लगा लेंगे।




02 मार्च को मैट्रिक की अंतिम लिखित परीक्षा थी। सब्जेक्ट था संस्कृत। यह एडिशनल सब्जेक्ट होता है। इसमें पास होना जरुरी नहीं लेकिन अधिक नम्बर आने से फुल मार्क्स में शायद जुड़ता है। सुबह - सुबह हम मीडिया वालों को कॉल आया की जैक अध्यक्ष संत अलोइस स्कूल में निरिक्षण करने जा रहे हैं। हम पहुंचे तो 2 छात्र को अध्यक्ष ने चोरी करते पकड़ा। एक चिट फेक रहा था तो एक गैस पेपर का पेज कॉपी में छुपाकर लिख रहा था। तभी बारिश होने की वजह से हम वहीँ कैंटीन में रुक गए। बारिश ख़त्म होते ही जैसे ही निकलना चाहा वही लड़का सामने आ गया। जिसे अध्यक्ष ने चोरी करते पकड़ा था। और कहा - भैया फोटो मत छापियेगा नहीं तो हम फांसी लगा लेंगे।

दरअसल आज हम इसे इसलिए लिख रहे हैं क्यूंकि कैराली स्कूल की एक छात्रा ने परीक्षा में चीटिंग करते पकड़े जाने पर आज सुसाइड कर ली है। फोटो में लिखा I QUIT उसी लड़की का लिखा है। इसके साथ 4 पन्नो का एक सुसाइडल नोट भी लिखकर घर वालों के लिए छोड़ा है। 11 वीं में पढ़ने वाली लड़की ने लिखा है वो कॉमर्स पढ़कर बिजनसमेन बनना चाहती है। लेकिन मम्मी पापा के डॉक्टर के रूप में उसे देखने की तमन्ना के चलते उसे साइंस पढ़ना पड़ रहा है। और शायद इसलिए आज उसे फिजिक्स सब्जेक्ट में चोरी करनी पड़ी। और भरे क्लास में उसे शर्मिंदा होना पड़ा। फिर वो वही कदम उठा ली जिसकी धमकी उस लड़के ने मुझे दी थी।

दोनों केस को मैं इसलिए जोड़ रहा हूँ क्युकी मैं बताना चाह रहा था कि बच्चों की सोच कैसे बदल रही है। पास होने के लिए पढाई करने से ज्यादा चोरी करते पकड़े जाने पर शर्मिंदगी से है। और यह भी बताना चाह रहा था कि बच्चों पर परिजन द्वारा जबरदस्ती कैसे खास फिल्ड और विषय का लोड थोपा जा रहा है। ठीक उसी तरह जैसा फिल्म 3 इडियट में फिल्माया गया है। बच्चा पैदा होते ही माँ - बाप तय कर लेते हैं कि ये डॉक्टर बनेगा या इंजिनियर। मजबूरन कैद में जीने वालों को I QUIT लिखकर आज़ाद होना पड़ता है।

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