विकास के नये पैमाने पर कराये गये ताजा अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के मुताबिक हिंदी पट्टी के ये दोनों प्रदेश झारखंड और बिहार" न केवल अपने देश में सबसे पिछड़े हैं, बल्कि दुनिया के सबसे बदहाल कहे जानेवाले देशों से भी मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं.
यह अध्ययन ब्रिटेन स्थित ऑक्सफ़ोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिऐटव (ओपीएचआइ) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने किया है. इसकी रिपोर्ट में शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन -यापन के मामले में झारखंड की स्थिति आज हिंसा से जूझते अफ्रीकी देश रवांडा जैसी है. इसी रिपोर्ट में आज देश में विकास का पर्याय बनता बिहार भी मानव विकास सूचकांक में दुनिया के तीसरे सबसे पिछड़े अफ्रीकी देश सियेरा लियोन के बराबर खिसक जाता है.
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर झारखंड और कृषि के लिए माकूल बिहार की भविष्य की तसवीर को पढ़ने के इरादे से दिल्ली की जानी-मानी संस्था इंडिकस से दोनों राज्यों का अध्ययन कराया था. इसमें सामने आया था कि अगर झारखंड के विकास की रफ्तार इतनी ही धीमी रही, तो 15 साल बाद यानी 2020 में इसकी स्थितिजिंबाब्वे जैसी होगी. अगर विकास की गति थोड़ी बढ़ भी जाये, तो भी श्रीलंका के आस-पास जाकर ठहर जायेगी.बिहार के बारे में इंडिकस का अध्ययन कुछ ज्यादा ही चिंतित करनेवाला था.
इसमें कहा गया था कि बिहार के विकास की रफ्तार उसे नेपाल या बांग्लादेश के आस-पास ही ले जा पायेगी. छह साल पहले यह आकलन प्रति व्यक्ति क्रयशक्ति (पीपीपी) के आधार पर जीडीपी का अनुमान लगाते हुए किया गया था. तब दो भिन्न अर्थव्यवस्थाओं की तुलना का यही सबसे वैज्ञानिक और तर्कसंगत मापदंड माना जाता था.अब ब्रिटेन स्थित ऑक्सफ़ोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिऐटव (ओपीएचआइ) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की ओर से जारी एमपीआइ (मेजर्स ऑफ़ पॉवर्टी) की रिपोर्ट भी प्रभात खबर की ओरसे कराये गये अध्ययन पर मुहर लगाती है.
इस ताजा रिपोर्ट में आयगत निर्धनता के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन- यापन के स्तर से जुड़े 10 नये मानकों को शामिल किया गया है. एमपीआइ के इस बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स) के आइने में भी झारखंड और बिहार 21 भारतीय राज्यों की सूची में 20वें और 21वें स्थान पर आता है. दोनों राज्यों को सबसे बदहाल अफ्रीकी देशों के बराबर अंक दिये गये हैं.
एमपीआइ की दृष्टि में नब्बे के दशक में भुखमरी से तीन लाख से ज्यादा लोगों की मौत की दास्तान बना सोमालिया बिहार से कुछ ही अंक पीछे है. भारत में केरल और गोवा को क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर रखा गया है, लेकिन उसे भी मध्यम दर्जे की आयवाले देश फ़िलीपींस और इंडोनेशिया के बराबर आंका गया है।
यह अध्ययन ब्रिटेन स्थित ऑक्सफ़ोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिऐटव (ओपीएचआइ) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने किया है. इसकी रिपोर्ट में शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन -यापन के मामले में झारखंड की स्थिति आज हिंसा से जूझते अफ्रीकी देश रवांडा जैसी है. इसी रिपोर्ट में आज देश में विकास का पर्याय बनता बिहार भी मानव विकास सूचकांक में दुनिया के तीसरे सबसे पिछड़े अफ्रीकी देश सियेरा लियोन के बराबर खिसक जाता है.
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर झारखंड और कृषि के लिए माकूल बिहार की भविष्य की तसवीर को पढ़ने के इरादे से दिल्ली की जानी-मानी संस्था इंडिकस से दोनों राज्यों का अध्ययन कराया था. इसमें सामने आया था कि अगर झारखंड के विकास की रफ्तार इतनी ही धीमी रही, तो 15 साल बाद यानी 2020 में इसकी स्थितिजिंबाब्वे जैसी होगी. अगर विकास की गति थोड़ी बढ़ भी जाये, तो भी श्रीलंका के आस-पास जाकर ठहर जायेगी.बिहार के बारे में इंडिकस का अध्ययन कुछ ज्यादा ही चिंतित करनेवाला था.
इसमें कहा गया था कि बिहार के विकास की रफ्तार उसे नेपाल या बांग्लादेश के आस-पास ही ले जा पायेगी. छह साल पहले यह आकलन प्रति व्यक्ति क्रयशक्ति (पीपीपी) के आधार पर जीडीपी का अनुमान लगाते हुए किया गया था. तब दो भिन्न अर्थव्यवस्थाओं की तुलना का यही सबसे वैज्ञानिक और तर्कसंगत मापदंड माना जाता था.अब ब्रिटेन स्थित ऑक्सफ़ोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिऐटव (ओपीएचआइ) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की ओर से जारी एमपीआइ (मेजर्स ऑफ़ पॉवर्टी) की रिपोर्ट भी प्रभात खबर की ओरसे कराये गये अध्ययन पर मुहर लगाती है.
इस ताजा रिपोर्ट में आयगत निर्धनता के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन- यापन के स्तर से जुड़े 10 नये मानकों को शामिल किया गया है. एमपीआइ के इस बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स) के आइने में भी झारखंड और बिहार 21 भारतीय राज्यों की सूची में 20वें और 21वें स्थान पर आता है. दोनों राज्यों को सबसे बदहाल अफ्रीकी देशों के बराबर अंक दिये गये हैं.
एमपीआइ की दृष्टि में नब्बे के दशक में भुखमरी से तीन लाख से ज्यादा लोगों की मौत की दास्तान बना सोमालिया बिहार से कुछ ही अंक पीछे है. भारत में केरल और गोवा को क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर रखा गया है, लेकिन उसे भी मध्यम दर्जे की आयवाले देश फ़िलीपींस और इंडोनेशिया के बराबर आंका गया है।
badi acchi baat hai. kam se kam ab to log jagenge. kair tune jo photographs lagya hai use dekh kar yahi lag raha hai.. ki bada wala bihkari Bihar hai aur chota wala Jharkhand.
जवाब देंहटाएंशोभनम्
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