रक्षाबंधन भाई और बहन के प्यार का त्योहार है। इसे रेशम के धागों का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और कहती है की इसी तरह हमारा और आपका भी जन्म-जन्मांतर तक रिश्ता बना रहे। इस दिन भाई कहीं भी हो अपनी बहन के पास उसका प्यार और आशीर्वाद पाने जरुर आता है। बहन भी दिल खोल कर अपने प्यारे भैया का स्वागत करती है और जीवन में कभी कोई समस्या न आये और साथ ही लम्बी उम्र की कामना करती है।
मेरे होस्टल के ठीक बगल में एक ब्राह्मन का परिवार रहता है। दोनों मिया बीबी की उम्र ५० के करीब होगी। अपना गुजारा फुटपाथ पर दुकान चला कर किया करते हैं। जैसे भी हो ईमानदारी की रोटी से ये लोग काफी खुश रहते हैं। शायद भगवान इनसे नाखुस थे इसलिए शादी के डेड़ दशक बाद इनके आँगन में किलकारी गूंजी। आज इनकी दो बेटी है। दोनों देखने में एकदम गुड़िया है। ये दोनों भी जितने हैं उतने में ही काफी खुश रहती है। दोनों आज स्कूल भी जाती हैं। एक की उम्र १३ साल तो एक ९ साल की होगी।
हमारे होस्टल से इनकी माँ के हमेशा से अच्छे सम्बन्ध रहे हैं। ये हर लड़के में अपने बेटे का चेहरा देखती है। पर ऐसा नहीं है की ये अपनी दोनों बेटी को बेटा से कम प्यार करती है। बचपन से ही रक्षाबंधन के दिन ये दोनों बहने भाई को राखी बांधने के जिद पर अड़ जाती थी, क्युकि इनकी सारी सहेलियां अपने भाई को राखी बांधा करती थी। लेकिन भगवान ने इन्हें राखी बांधने के लिए भाई नहीं दिया है। इनका दिल रखने के लिए इनकी माँ ने होस्टल के एक लड़के को राखी बंधवाई। तभी से ही ये सिलसिला शुरु हुआ जो आज तक चलता आ रहा है। धीरे-धीरे यहाँ रहने वाले सभी लड़के इनदोनो बहनों के भाई हो गए और राखी बंधवाने लगे। आज इनदोनो बहन के २०० से भी ज्यादा भाई हैं। लेकिन अफ़सोस है तो बस यही बात का की हर रक्षाबंधन में इनके सामने आने वाला हाथ बदल जाता है। होस्टल में हर साल लड़के बदल जाते हैं और हर साल इनके भाई भी बदल जाते हैं। आज इस बहन के प्यार और आशीर्वाद से कितने लडकें देश के कई नामी गिरामी कंपनियों का शोभा बड़ा रहे हैं। और कई तो सरकारी नौकरी में अच्छे पोस्ट पर हैं लेकिन जो एक बार यहाँ से गया वो फिर दुबारा नहीं आया।
आज ये दोनों बहन धीरे-धीरे बड़ी हो रही हैं और इनके पापा बुड़ापे की ओर बढ रहे हैं। इनकी जमीन इनके रिश्तेदारों ने बईमानी से अपने नाम कर लिया है। रहने के लिए एक छत की तालाश में इन्होने किसी तरह थोड़ी सी जमीन खरीदी थी। इस जालिम दुनिया वालों से वो भी न देखा गया और उसे भी हड़प लिया गया। बारिश का मौसम हर किसी के लिए खुशियाँ की सौगात लेकर आता है। लेकिन इस परिवार पर ये दुखों का पहाड़ लेकर आता है। यदि बारिश शुरू हुई तो इन्हें मोसक्यूटो गार्ड के ऊपर प्लास्टिक लगा कर रात भर जाग कर बिताना पड़ता है।
मैं आज तक जितने भी लोग इस होस्टल में रहे हैं, उनसे आग्रह करना चाहूँगा की अपनी इस बहन को इस कठिन परिस्थिती से जरुर निकाले। क्यूंकि आज इस बहन को जरुरत है मजबूत कन्धों की जिस पर सर रख कर अपना सुख-दुख बाँट सके।
जय हिंद।
मेरे होस्टल के ठीक बगल में एक ब्राह्मन का परिवार रहता है। दोनों मिया बीबी की उम्र ५० के करीब होगी। अपना गुजारा फुटपाथ पर दुकान चला कर किया करते हैं। जैसे भी हो ईमानदारी की रोटी से ये लोग काफी खुश रहते हैं। शायद भगवान इनसे नाखुस थे इसलिए शादी के डेड़ दशक बाद इनके आँगन में किलकारी गूंजी। आज इनकी दो बेटी है। दोनों देखने में एकदम गुड़िया है। ये दोनों भी जितने हैं उतने में ही काफी खुश रहती है। दोनों आज स्कूल भी जाती हैं। एक की उम्र १३ साल तो एक ९ साल की होगी।
हमारे होस्टल से इनकी माँ के हमेशा से अच्छे सम्बन्ध रहे हैं। ये हर लड़के में अपने बेटे का चेहरा देखती है। पर ऐसा नहीं है की ये अपनी दोनों बेटी को बेटा से कम प्यार करती है। बचपन से ही रक्षाबंधन के दिन ये दोनों बहने भाई को राखी बांधने के जिद पर अड़ जाती थी, क्युकि इनकी सारी सहेलियां अपने भाई को राखी बांधा करती थी। लेकिन भगवान ने इन्हें राखी बांधने के लिए भाई नहीं दिया है। इनका दिल रखने के लिए इनकी माँ ने होस्टल के एक लड़के को राखी बंधवाई। तभी से ही ये सिलसिला शुरु हुआ जो आज तक चलता आ रहा है। धीरे-धीरे यहाँ रहने वाले सभी लड़के इनदोनो बहनों के भाई हो गए और राखी बंधवाने लगे। आज इनदोनो बहन के २०० से भी ज्यादा भाई हैं। लेकिन अफ़सोस है तो बस यही बात का की हर रक्षाबंधन में इनके सामने आने वाला हाथ बदल जाता है। होस्टल में हर साल लड़के बदल जाते हैं और हर साल इनके भाई भी बदल जाते हैं। आज इस बहन के प्यार और आशीर्वाद से कितने लडकें देश के कई नामी गिरामी कंपनियों का शोभा बड़ा रहे हैं। और कई तो सरकारी नौकरी में अच्छे पोस्ट पर हैं लेकिन जो एक बार यहाँ से गया वो फिर दुबारा नहीं आया।
आज ये दोनों बहन धीरे-धीरे बड़ी हो रही हैं और इनके पापा बुड़ापे की ओर बढ रहे हैं। इनकी जमीन इनके रिश्तेदारों ने बईमानी से अपने नाम कर लिया है। रहने के लिए एक छत की तालाश में इन्होने किसी तरह थोड़ी सी जमीन खरीदी थी। इस जालिम दुनिया वालों से वो भी न देखा गया और उसे भी हड़प लिया गया। बारिश का मौसम हर किसी के लिए खुशियाँ की सौगात लेकर आता है। लेकिन इस परिवार पर ये दुखों का पहाड़ लेकर आता है। यदि बारिश शुरू हुई तो इन्हें मोसक्यूटो गार्ड के ऊपर प्लास्टिक लगा कर रात भर जाग कर बिताना पड़ता है।
मैं आज तक जितने भी लोग इस होस्टल में रहे हैं, उनसे आग्रह करना चाहूँगा की अपनी इस बहन को इस कठिन परिस्थिती से जरुर निकाले। क्यूंकि आज इस बहन को जरुरत है मजबूत कन्धों की जिस पर सर रख कर अपना सुख-दुख बाँट सके।
जय हिंद।
Raksha bandhan ke subh awshar par main bhagwan se yahi prathna karungi ki.... in dono behno ko unke sare bhai yaad karen aur inki zindgi ki sari pareshani dur ho jaye.....
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी है इन बहनों की कहानी....
जवाब देंहटाएंWhatever you have said about two girls and their beloved parents, it is really a heart touching theme. It made me compassionate for her. Today I made a call to her but she didn't pick my phone. I pray for all happiness and good wishes in their lives. God Bless them
जवाब देंहटाएंरिश्ते के पीछे छुट जाने का दर्द भी है आपकी इस कहानी में आशा है भगवान् इनकी फ़रियाद सुनेगा और इन्हें मुश्किलों से बाहर निकालेगा ,उनसे संपर्क करने के लिए पता और हो सके तो नंबर भी प्रकाशित करें ताकि जो मदद करना चाहे वो कर सकें
जवाब देंहटाएंRaksha Bandhan is a festivals of bond of love between brothers and sisters. On the occasion, a sister ties a rakhi on her brother's wrist this is not only a rakhi. This a love, care, trust, everything which is acceptation of a sister .................. and in turn he gives her gifts and promise to protect her. its not necessary that this relationship should be blood related ..........
जवाब देंहटाएंHamare samaj me aksar aisa dekhne ko milta hai ki log hamesha apne kaam ke anusar riste bante hai aur kaam nikal jane ke baad bhul jate hain. jabki aisa hona nahi chahiiye... log ko apni beti hui jindagi me bichre hue logon ke liye bhi samay nikalna chahiye... aur un logon ke liye to awasy hi jo needy ho.
जवाब देंहटाएंmain bhagwan se yahi prathna karungi ki in dono bahan ka jald bas jaye...
aur haan main inlogon ko madad bhi karna chahungi.. yadi aap in logon ka account number de den to behtar hoga....
aise logon ko hum sabon ke bich lane ke liye dhanywad...
आप सबों ने जो इन बहनों पर सवेदना जताई है, इसके लिए मैं आप सब का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ. आप सबों को देख कर लगता है की इंसानियत कहीं न कहीं अभी भी जिन्दा है. मेरे ये लिखने के बाद कई मदद के हाथ इन लोगों की तरफ बड़े हैं. और कई बिछड़े भाई ने भी संपर्क किया है....
जवाब देंहटाएंmind blowing i think ki aap ke writing ki daad deni paregi.......
जवाब देंहटाएंsimply from my site u r mind blowing ,actually main pahle blogs nahi padhna chahta tha but aapke blogs dekhne k baad mujhe pata chala k i was totaly wrong
your blogs are terrific yaar chha gaye guruuuuuuuuu
when i'll come to ranchi i'll surely want to meet to both the sisters n i promise ki main har saal raksha bandhan par usse milne jaroor aaunga
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