मेरे बारे में

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झारखण्ड के रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का छात्र हूँ ! आप बचपन से ही भावुक होते हैं ! जब भी आप कोई खबर पढ़ते-सुनते हैं तो अनायास ही कुछ अच्छे-बुरे भाव आपके मन में आते हैं ! इन्हीं भावो में समय के साथ परिपक्वता आती है और वे विचार का रूप ले लेते हैं! बस मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है! कलम काग़ज से अब तसल्ली नहीं होती ! अब इलेक्ट्रॉनिक कलम की दुनिया भाने लगी है !

शनिवार, 10 जुलाई 2010

संघर्स की पत्रकारिता


पत्रकारिता की डिग्री करने के बाद हम सभी दोस्त खुश ऐसे हो रहे थे मानो सारा आसमान हमारे कदमो में आ गया हो। लेकिन आज हमारी ख़ुशी दम तोडती नज़र आ रही है। क्या क्या नहीं सपने बुने थे हम सभी ने, की कौर्स पूरा करने के बाद। ऐसा होगा हम वैसा करेंगे, लेकिन धीरे- धीरे सभी सपने धूमिल होते चले गए। कुछ दोस्तों की तो ऐसी हालत है की पिछले ६ महीनो से वेतन नहीं मिला। दो साल पहले श्री लेदर में जो जूता लिया था रिपोर्टिंग करते करते वो घिस चूका है। जमीन के कंकड़ अब जुते में आ जाते हैं। नए लेने के लिए दुकान जाने की हिम्मत नहीं होती। अगर इज्ज़त बचाने के लिए नया ले भी लिया तो न जाने कितने शाम पानी पी कर सोना पड़े। बाबूजी से पैसा मांग नहीं सकते क्यूंकि बाबूजी ने तो गाँव की चौताल पर सीना ऊँचा करके कहा है की मेरा बेटा राजधानी में पत्रकार है। हमेशा दूसरों की भलाई और दूसरों के हित के लिए लड़ने वाले पत्रकार की आज ऐसी स्थिती क्योँ है। हमेशा दूसरों के शोषण के खिलाफ लड़ने वाले पत्रकार की आज ऐसी स्थिती क्योँ है. आज क्योँ उसे मंरेगा में कम करने वाले मजदूर से भी कम वेतन मिलते हैं। दूर से चाक चौबंद चमचमाती देखने वाली इस दुनिया का इतना धिनौना सच हो सकता है हम सभी ने कभी ऐसा सोचा भी न था। पत्रकारिता में यदि पैसा नहीं मिलता है तो कहा जाता है यही संघर्ष है। इसी से आगे बढोगे। लेकिन भैया कब तक संघर्स करें। शरीर से सभी गुदे गायब हो गए हैं। अब सिर्फ हड्डी बची है। लेकिन अब वो भी जवाब देने लगी है। हमे पता है की पैसा ही हर कुछ नहीं होता है, लेकिन पैसा साध्य नहीं तो साधन तो है। हम बंगला नहीं चाहते हैं लेकिन एक छत तो होनी ही चाहिए जहाँ चैन के दो पल गुजारे जा सके। आज हमारी शादी के उम्र हो गए है लेकिन सवाल है की जब दो रोटी हम नहीं जुटा पते हैं तो चार रोटी कहाँ से ला पाउँगा। सुबह से रात तक इमानदारी से मेहनत करते हैं फिर भी माकन मालिक के ५ महीने का किराया नहीं दे पाया हूँ। आपको नहीं लगता की ऐसी ही स्थिती में ही युवा आज कलम उठाने की जगह लोहा उठा रहे हैं। आखिर इसका उपाय क्या है।

10 टिप्‍पणियां:

  1. This is very serious heart broken problem, and we should do something to resolve the issue. Also the Government should take action to remove such type of condition from our society. They are busy making prices high of every common things and while asked they say "It is necessary to balance economy". They never realize the worst conditions of us.

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  2. Sunny u have great future not only into world of journalism but with others too, why because the man who express feelings and pain for the community is a leader. So I believe you are a true leader in your profession. Your command over the langauge is more to be appreciated too, ur a grass root person so the world is open for u to accompolish it and have a great future

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  3. I just want to say that......aab jab hum sab ne ye kathin dagar chuna hai.....to uspar chalna to padega hi. bhale hi aaj tumko ye rasta kathin lage lekin aagar aap me wo HIMAT,JAJBA aur DHARY hai to ek din aisa bhi jarur aayega jab.....duniya aapke piche hogi.....so don't lose ur hope and lage raho......aur aise tu hi to kehta hai......
    ki ruk jana nahi,
    tu kahin haar ke
    kaanton pe chalke milenge
    saaye bahaar ke

    o raahi o raahi
    o raahi o raahi
    o raahi o raahi
    o raahi o raahi

    saathi na kaarvaan hai
    ye tera imtihaan hai
    saathi na kaarvaan hai
    ye tera imtihaan hai
    yun hi chala chal dil ke sahaare
    karti hai manzil tujhko ishaare...

    lot of good wishes to all my frnd....


    tum sabon ki.....ek patrkar DOST....

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  4. सच है...कड़वा है...
    पच गया तो अमृत हो जाएगा...

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  5. What an Idea....tumne really Sangarsh ki patrkarita me ek achha mukaam hasil kiya hain...and hope you will keep your journey same...Always remember--- Journey gives happiness ,destination not...
    We cannot reach the elusive goal of happiness by the direct route of consciously searching for it. The secret lies in taking an elliptical path.

    A path that lies in being fully engaged and absorbed in one's daily actions, including those related to becoming prosperous. A path towards which an individual can be subtly prodded by a master who herself has negotiated it.Happiness will then ensue instead of being pursued
    and if you really want happiness then the best way to find it is to not chase it...
    Good luck ahead...

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  6. जैसे चाहते थे हम उन्हें (पत्रकारिता)…
    वो भी हमें चाहते तो क्या बात होती …
    पाने का अरमान तो था आसमां …
    बिन मांगे मिल जाते तो क्या बात होती …
    इस दिल में अरमान था इतना …
    वो जान लेते तो क्या बात होती …
    हमने माँगा था बस खुदा से दो रोटी …
    वो भी हमें खुशी से दे देते तो क्या बात होती......
    जिन्दगी एक संघर्ष है.........
    हम तो बस एक राही हैं..........

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  7. Dear Sunny,

    आपने जो लिखा है वो बिलकुल सच हैं,
    लेकिन चुनौति और संधर्ष तो जिंदगी के साथ-साथ हैं।
    इस बारे में मैं और क्या बोलू आप खुद समझदार है,
    आप अपनी जिंदगी में बहुत आगें जांए यह हमारी दुआ है।
    ये आसां नहीं हैं पर हमें शब्र के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए,
    और जो हमारे पास है, उसी में खुशी ढूंढ़नी चाहिए।

    Sima (Border of Life)

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  8. YOUR WAY IS TUFF IN THIS GENERATION BUT YOU MAKE IT EASY. ZAMANE KE SATH THODI BEYMANI KARNI PADEGI.

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