ये पढकर बड़ा दुःख हुआ की राम को बोन कैंसर हो गया है और डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिये उसे देल्ही ले जाने को कहा है लेकिन उसके परिवार की माली हालत इस लायक नहीं है की वो राम का इलाज देल्ही में करा सकें. बेबस माँ बस अपने लाल को गोद में सुला कर भगवान से अपने लाल के जीवन की लड़ाई लड़ रही है. आसुओं से भरी माँ की आखें और कपकपाते होठ शायद भगवान से यही सवाल कर रही है की आखिर क्यूँ मुझे ये सब देखना पड़ रहा है? कहा जाता है की भगवान राम का नाम बार-बार लेने से सारे दुखों का निवारण हो जाता है। शायद यही सोच कर इस बच्चे का नाम राम रखा गया होगा। लेकिन इस छोटी से उम्र में इस राम पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
जरा सोचिये ...
आज से कुछ महीनों पहले की बात है. अयोध्या पर फैसला आने वाला था. हर ओर बस एक ही चर्चा थी की राम मंदिर वहां बनेगा या नहीं, हर कोई को उस गुजरे हुए राम के आशियाने की चिंता सता रही थी. जरा सा कोई बोल दे तो जान लेने - देने तक की बात हो जाती थी. लेकिन आज एक जीवित राम हर दिन मौत की ओर बढ रहा है उसकी फ़िक्र और चर्चा किसी के भी जुबान पर भी नहीं है. हम ऐसे देश के निवासी हो गए हैं जहाँ जीवित लोगों को दुत्कारा जाता है लेकिन वही शरीर जब आत्मा त्याग देती है तो हम प्रणाम करने लगते हैं। मंदिर बना कर हम राम की मूरत को तो बैठा सकते हैं लेकिन एक छोटी सी मदद कर हम एक राम को जीवन दे सकते हैं। तो फिर क्यूँ न हम सब मिल कर राम की दिल खोल कर मदद करें और समाज में एक मिसाल कायम करें की अभी भी हमारे अंदर इंसानियत जिंदा है। कहा भी जाता है की भगवान किसी न किसी रूप में धरती पर आते रहते हैं और सबकी परीक्षा लेते हैं की कौन कैसा है। हो न हो इस बच्चे राम के बहाने भगवान राम ये जानने की कोशिस कर रहे होंगे की कौन अच्छा है और कौन बुरा?
सवाल ....
नोट: राम का परिवार डीपीएस स्कूल के पीछे लंका क्लोनी सेक्टर २ में रहता है।
जरा सोचिये ...
आज से कुछ महीनों पहले की बात है. अयोध्या पर फैसला आने वाला था. हर ओर बस एक ही चर्चा थी की राम मंदिर वहां बनेगा या नहीं, हर कोई को उस गुजरे हुए राम के आशियाने की चिंता सता रही थी. जरा सा कोई बोल दे तो जान लेने - देने तक की बात हो जाती थी. लेकिन आज एक जीवित राम हर दिन मौत की ओर बढ रहा है उसकी फ़िक्र और चर्चा किसी के भी जुबान पर भी नहीं है. हम ऐसे देश के निवासी हो गए हैं जहाँ जीवित लोगों को दुत्कारा जाता है लेकिन वही शरीर जब आत्मा त्याग देती है तो हम प्रणाम करने लगते हैं। मंदिर बना कर हम राम की मूरत को तो बैठा सकते हैं लेकिन एक छोटी सी मदद कर हम एक राम को जीवन दे सकते हैं। तो फिर क्यूँ न हम सब मिल कर राम की दिल खोल कर मदद करें और समाज में एक मिसाल कायम करें की अभी भी हमारे अंदर इंसानियत जिंदा है। कहा भी जाता है की भगवान किसी न किसी रूप में धरती पर आते रहते हैं और सबकी परीक्षा लेते हैं की कौन कैसा है। हो न हो इस बच्चे राम के बहाने भगवान राम ये जानने की कोशिस कर रहे होंगे की कौन अच्छा है और कौन बुरा?
सवाल ....
- हम सभी तो हर दिन अपने लिये जीते और कमाते-खाते हैं क्या एक दिन राम को नहीं दे सकते हैं?
- हर कोई पुन्य का भूखा होता है, तो क्या इस सुअवसर का लाभ हम नहीं उठा सकते हैं?
- क्या हम थोड़ी देर के लिये इस राम को उस राम से जोड़ कर सबकुछ निछावर नहीं कर सकते हैं?
- राम हर किसी के दिल में बसते हैं फिर इस राम की मदद के लिये हम सब मौन क्यूँ हैं?
नोट: राम का परिवार डीपीएस स्कूल के पीछे लंका क्लोनी सेक्टर २ में रहता है।
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